रेप की मिल रही थीं धमकियां, जान बचाकर भारत पहुंची नाबालिग हिंदू बच्ची!
बांग्लादेश में हिंदुओं को चुन-चुनकर निशाना बनाया जा रहा है. उस पर जिन परिवारों का ताल्लुक इस्कॉन से है, उन पर तो जुल्म की इंतेहां हैं. ऐसे परिवारों की बच्चियों को कट्टरपंथी घर से उठाकर ले जा रहे हैं. ऐसे हालात देखकर एक हिंदु नाबालिग बच्ची भागकर भारत पहुंची है. जिसे भारतीय सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर जिले के चोपड़ा ब्लॉक के फतेपुर बीओपी इलाके में पकड़ा. यह लड़की बांग्लादेश के पंचागढ़ जिले से है और अपने परिवार के साथ इस्कॉन से जुड़ी हुई है. बांग्लादेश में इस्कॉन से जुड़े परिवारों के सदस्यों लगातार धमकियां मिल रही थीं. खासतौर पर बच्चियों को उठाने की धमकियां शामिल हैं. कई हिंदू परिवारों की लड़कियों के साथ दुष्कर्म, हत्या जैसे जघन्य अपराध हो रहे हैं. इसके चलते नाबालिग बच्ची के नाना उसे लेकर किसी तरह बचते-बचाते भारतीय सीमा पर पहुंचे हैं. जब नाबालिग लड़की और उसके नाना जलपाईगुड़ी के बेलाकोबा में अपने रिश्तेदार के घर जाने के लिए सीमा पार करने की कोशिश कर रहे थे, तभी BSF ने उन्हें पकड़ा. अब पुलिस लड़की के रिश्तेदारों से संपर्क करके उसे सुरक्षित उन तक पहुंचा रही है.
इसी बीच बांग्लादेश से एक और नया मामला सामने आया है. ढाका में जब एक रेस्तरां ने गोमांस नहीं परोसा तो मुस्लिम उपभोक्ता अधिकार परिषद ने ऐसे सभी रेस्तरां के बहिष्कार की मांग करते हुए रैली निकाली, जो बीफ नहीं परोस रहे. ऐसे रेस्तरां पर मुस्लिम विरोधी विचारधाराओं से जुड़ने का आरोप लगाया जा रहा है. दरअसल, हिंदुओं में गाय को माता और पूजनीय माना गया है और मुस्लिम गोमांस खाने को प्राथमिकता की तरह लेते हैं.
प्रदर्शनकारियों ने यहां तक डिमांड की है कि रेस्तरां के मेन्यू में गोमांस के व्यंजनों को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए और ऐसा ना करने वाले रेस्तरां बंद कर दिए जाएंगे.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार परिषद के संयोजक मुहम्मद आरिफ अल खबीर ने ढाका ट्रिब्यून को बताया कि गोमांस इस्लामी पहचान के प्रतीक के रूप में कार्य करता है. बता दें कि अल्पसंख्यकों पर अत्याचार और बढ़ते सांप्रदायिक तनाव के बीच यह रैली की गई है.
वहीं इस्कॉन के पुजारी चिन्मय दास की गिरफ्तारी के बाद से बांग्लादेश में हालात ज्यादा बिगड़े हैं. इस बीच उनकी जमानत के लिए कई बार प्रयास हुए, जो नाकाम रहे. 11 दिसंबर को एक बार फिर चटगांव की अदालत ने यह कहकर वकील द्वारा पेश की गई याचिका खारिज कर दी कि उनके पास चिन्मय की ओर से पेश होने के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी नहीं थी. इससे पहले रेमॉन राय उनके वकील थे, जिन पर कट्टरपंथियों ने जानलेवा हमला कर दिया था.