प्रयागराज महाकुंभ के साथ इस बार धार्मिक के साथ राजनीतिक मुद्दों का संगम भी देखने को मिल रहा है. जहां एक तरफ महाकुंभ की भव्य तैयारियां जारी हैं, वहीं दूसरी ओर वक्फ बोर्ड के खिलाफ सनातनियों का एक बड़ा अभियान शुरू हो गया है. इस अभियान के तहत महाकुंभ क्षेत्र में होर्डिंग्स लगाई गई हैं, जिन पर लिखा है, “वक्फ के नाम पर संपत्ति की लूट है, धर्मनिरपेक्ष देश में ये कैसी छूट है.”
असल में महाकुंभ के दौरान वक्फ बोर्ड के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए खासतौर पर पोस्टर्स लगाए गए हैं. इन होर्डिंग्स के जरिए वक्फ बोर्ड की कथित “कब्जानीति” पर चोट की गई है. संत समाज ने साफ कर दिया है कि महाकुंभ में वक्फ बोर्ड बड़ा मुद्दा होगा. 27 जनवरी को होने वाली धर्मसंसद में वक्फ बोर्ड को खत्म करने और सनातन बोर्ड के गठन की मांग पर चर्चा होगी.
पंचायती निरंजनी अखाड़ा के महेशानंद महाराज का कहना है कि सनातन धर्म के अनुयायियों को जागरूक करने के लिए यह अभियान जरूरी है.
महाकुंभ में वक्फ बोर्ड के खिलाफ छिड़े इस अभियान के बीच समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने महाकुंभ की तैयारियों पर सवाल उठाए. उन्होंने सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें और वीडियो शेयर कर आयोजन में अव्यवस्था का आरोप लगाया.
अखिलेश ने आरोप लगाया था कि पुल अधूरे हैं, बिजली के खंभों में तार नहीं हैं, और पुलिस व्यवस्था कमजोर है. संत समाज ने अखिलेश के इन आरोपों को खारिज कर दिया. महंत रविंद्र पुरी ने कहा कि अखिलेश यादव को कुंभ के प्रबंधन पर बोलने से पहले अपने पिता, मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल को याद करना चाहिए. 1995 के महाकुंभ में हुई उपेक्षा के कारण संत समाज ने स्नान का बहिष्कार तक कर दिया था.