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सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शनकारी किसानों से कहा, कोर्ट के दरवाजे उनके लिए हमेशा खुले हैं!

सुप्रीम कोर्ट ने बॉर्डर पर बैठे किसानों से कहा है कि वो  सीधे कोर्ट आकर अपनी बात रख सकते है.अदालत के दरवाज़े हमेशा उनके लिए खुले हैं. किसान ख़ुद या अपने प्रतिनिधि के जरिये कोर्ट में अपनी शिकायत या सुझाव रख सकते है. कोर्ट उनकी शिकायत पर  दूसरे स्टेक होल्डर्स से राय लेकर गम्भीरता से विचार  करेगा.

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने  ये टिप्पणी तब की जब पंजाब सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि किसानों ने हाई पावर कमेटी से बात करने से मना कर दिया है. 2 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस नवाब सिंह की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी को MSP समेत दूसरे मुद्दे पर किसानों से बातचीत कर गतिरोध दूर करने का जिम्मा दिया गया था.

पंजाब सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह ने कहा कि कमेटी ने 17 दिसंबर को किसानों को बातचीत के लिए न्यौता दिया था हालांकि किसान कमेटी बातचीत के लिए तैयार नहीं है.गुरूमिंदर सिंह ने कहा कि सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि किसानों को बातचीत के लिए प्रोत्साहित करें.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पिछले 20 दिनों से आमरण अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की खराब सेहत को लेकर भी चिंता जाहिर की. पंजाब सरकार की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि पिछले दिनों केंद्र , पंजाब सरकार के प्रतिनिधियों ने डल्लेवाल से मुलाक़ात की है.उनकी सेहत को लेकर कोर्ट को चिंता से भी उन्हें अवगत कराया है लेकिन इसके बावजूद  डल्लेवाल ने मेडिकल टेस्ट कराने और चिकित्सा सहायता लेने से मना कर दिया है.

कोर्ट ने पंजाब सरकार को आगाह करते हुए कहा है कि डल्लेवाल किसानों के हितों की नुमाइंदगी करने वाले जन नेता है. उनका वास्ता किसी राजनैतिक दल से नहीं है. अगर उन्हें कुछ होता है तो उसके नतीज़े बेहद खतरनाक होंगे. इसके लिए पूरी सरकारी मशीनरी को  जिम्मेदार ठहराया जाएगा.कोर्ट ने पंजाब सरकार से कहा कि वो अपनी ओर से कोई कोताही न करे और डल्लेवाल को हर संभव मेडिकल सहायता उपलब्ध कराए

कोर्ट ने किसानों को भी नसीहत दी कि वो बहकावे में आने से बचे. इस बात को समझे कि उनकी मांग तुंरत  परी हो, इससे ज़्यादा जगजीत सिंह डल्लेवाल की ज़िंदगी है. जब तक वो स्वस्थ है, तब तक किसानों के आंदोलन का नेतृत्व कर सकते है. लोकतंत्र में आपसी मतभेद हो सकते है, लेकिन सबसे ज़्यादा ज़रूरी उनका स्वस्थ  और जीवित रहना है ताक  वो आगे भी किसानों की बात उठा सके.

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