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बैठक में लोक निर्माण मंत्री श्री राकेश सिंह ने बताया कि मध्यप्रदेश में कुल 9664 किमी राष्ट्रीय राजमार्ग उपलब्ध हैं। इसमें से 5428 किमी राष्ट्रीय राजमार्ग एनएचएआई के अधीन हैं। शेष 4236 किमी लंबाई युक्त राष्ट्रीय राजमार्गों का संधारण लोक निर्माण विभाग (3990 किमी) एवं म.प्र. सड़क विकास निगम (846 किमी) द्वारा किया जा रहा है। वित्त वर्ष 2024-25 में केंद्रीय सरकार द्वारा प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण के लिए 3935 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी गई है। गत वित्त वर्ष की कार्य योजना अंतर्गत 8 नवीन कार्यो के लिए 3412 करोड़ रुपए के प्रस्ताव केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय में स्वीकृति के लिए प्रक्रियाधीन हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में रोड नेटवर्क बढ़ाने के लिए हम केंद्र सरकार से लगातार सम्पर्क में हैं और बहुत जल्द ही प्रदेश को नए राष्ट्रीय राजमार्ग मंजूर होने वाले हैं। बैठक में मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन, मुख्यमंत्री कार्यालय में अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा, अपर मुख्य सचिव लोक निर्माण श्री नीरज मंडलोई, म.प्र. सड़क विकास निगम के एमडी श्री भरत यादव, एनएचएआई के वरिष्ठ अधिकारी एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

Nuclear Submarine Base: इंडियन नेवी लगातार अपनी ताकत बढ़ा रही है. इसी कड़ी में एक और बड़ा कारनामा होने वाला है. चीन की खुराफात पर नजर रखने के लिए भारत अब समुद्र के नीचे भी अपनी ताकत बढ़ा रहा है. आंध्र प्रदेश के समुद्री तट पर एक नया नौसैनिक अड्डा बन रहा है जो खासतौर पर परमाणु पनडुब्बियों और युद्धपोतों के लिए तैयार किया गया है. यह अड्डा विशाखापत्तनम के पास रामबिल्ली नाम के एक छोटे से गांव में बन रहा है. साल 2026 में इसके शुरू होने की उम्मीद है. इस अड्डे को प्रोजेक्ट वर्षा के तहत बनाया जा रहा है. इस न्यूक्लियर बेस से बहुत बड़े काम अंजाम दिए जाएंगे.

इस न्यूक्लियर बेस के बारे में टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में विस्तृत जानकारियां दी हैं. इस बेस की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां पर खास सुरंगें और अंडरग्राउंड पेन बनाए गए हैं जिससे परमाणु पनडुब्बियां बिना किसी सैटेलाइट की नजर में आए बंगाल की खाड़ी में दाखिल हो सकेंगी. इसके बाद वे सीधे मलक्का जलडमरूमध्य जैसे रणनीतिक इलाकों की ओर रवाना हो सकेंगी. इससे भारत की सुरक्षा क्षमता और निगरानी ताकत दोनों मजबूत होंगी.

रिपोर्ट में इस बात का अभी जिक्र है कि पश्चिमी तट पर कर्नाटक के कारवार नौसैनिक अड्डे को भी तेजी से अपग्रेड किया जा रहा है. प्रोजेक्ट सीबर्ड के तहत यहां पर अब तक 12 से ज्यादा युद्धपोत तैनात हो चुके हैं और फेज-2A पूरा होने के बाद 32 बड़े युद्धपोत और पनडुब्बियां यहां खड़ी की जा सकेंगी. यहां एक नेवल डॉकयार्ड, एयर स्टेशन, लॉजिस्टिक बेस और रिपेयर फैसिलिटी भी विकसित की जा रही है.

वहीं इसी साल भारत अपनी तीसरी न्यूक्लियर पनडुब्बी INS अरिधमान को भी चालू करने जा रहा है. यह INS अरिहंत और INS अरिघात से बड़ी और ज्यादा ताकतवर होगी. अरिधमान 7000 टन वजन की है और 3500 किमी तक मार करने वाली K-4 मिसाइलें ले जा सकती है. आगे चलकर 13500 टन वजनी और ज्यादा ताकतवर रिएक्टर वाली पनडुब्बियां बनाने की योजना भी है.

इसके अलावा सिर्फ परमाणु पनडुब्बियां ही नहीं भारत अब छह अटैक पनडुब्बियां SSN भी बना रहा है जो पारंपरिक हथियारों से लैस होंगी. इसमें से दो को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ने पिछले साल अक्टूबर में मंजूरी दे दी थी. इन सभी तैयारियों का मकसद साफ है हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों पर लगाम लगाना और भारत की समुद्री सीमाओं को पहले से ज्यादा मजबूत करना. अब देखना है यह प्रोजेक्ट कब तक फिनिश हो जाएगा.

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