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सीबीआई को केंद्र के अफसरों के खिलाफ एफआईआर के लिए राज्यों से इजाजत की जरूरत नहीं!

सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में साफ किया है कि  सीबीआई  को राज्यों में तैनात केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ केंद्रीय क़ानून के तहत एफआईआर दर्ज करने के लिए राज्यों की मंजूरी की ज़रूरत नहीं है. सीबीआई बिना राज्य सरकार की मंजूरी के भी ऐसी सूरत में एफआईआर दर्ज कर सकती है.

सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला आंध्रप्रदेश हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है. हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार के मामले में दो केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ सीबीआई जांच को रद्द कर दिया गया था.

इस केस  में आरोपी केंद्रीय कर्मचारियों की हाईकोर्ट में यह दलील थी कि 1990 में अविभाजित आंध्रप्रदेश की सरकार ने दिल्ली पुलिस एस्टेब्लिशमेंट एक्ट 1946(DSPE एक्ट )के तहत सीबीआई को अपने यहां जांच के लिए सहमति दी थी. लेकिन CBI को जांच के लिए दी गई यह सहमति  आंध्र और तेलंगाना के विभाजन के बाद आंध्रप्रदेश पर खुद ब खुद लागू नहीं होती. इसके लिए आंध्रप्रदेश सरकार को नए सिरे से मंजूरी देने की ज़रूरत थी. आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट ने आरोपियों की इस दलील को  स्वीकार करते हुए  उनके खिलाफ दर्ज सीबीआई की एफआईआर को खारिज कर दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की इस अर्जी पर सुनवाई करते हुए आरोपियों की इस दलील को खारिज कर दिया. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में ये देखना होगा कि इस मामले में आरोप केंद्रीय क़ानून के तहत केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ है.ऐसे केस में सीबीआई को वैसे भी मुकदमा दर्ज करने के लिए राज्य सरकार की मंजूरी की ज़रूरत नहीं है.

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