देश

भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ क्‍यों नहीं लगाने दे रहे स्‍थानीय लोग,ठेकेदारों को नहीं मिल रहे मजदूर

Myanmar Border: भारत सरकार ने म्यांमार के साथ 1,643 किलोमीटर लंबी सीमा पर बाड़ लगाने की घोषणा को 10 महीने बीत गए हैं. लेकिन अभी भी इस योजना पर काम पूरा होने में वक्‍त लग सकता है. दरअसल, नई दिल्ली नशीली दवाओं और हथियारों की आमद पर अंकुश लगाना चाहती है, इसलिए वह सीमा पर फेंसिंग लगाना चाहती है. लेकिन सरकार की इस योजना को स्थानीय समुदायों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है जिनके सीमा पार जातीय संबंध हैं. इसके चलते सरकार इस मसले पर सावधानी से कदम बढ़ाते हुए काम कर रही है.

 भारत-म्यांमार बॉर्डर पर फेंसिंग लग गई तो फिर दोनों देशों के सीमा पर रह रहे लोगों को कई समस्‍याओं का सामना करना पड़ेगा. इसलिए दोनों देशों के सीमांत इलाकों में रहने वाले लोग इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं क्योंकि, कितने ही लोगों के घर, खेत, बिजनेस और परिवार सीमा इलाके में हैं. फेंसिंग लगने से उन्‍हें सीमा पार करने के लिए पासपोर्ट या वीजा जैसे दस्‍तावेजों की जरूरत पड़ेगी. जबकि अभी मई 2018 में मुक्त आवाजाही समझौते (FMR) की सहमति पर किए गए साइन से दोनों देशों के लोग एक-दूसरे देशों के बॉर्डर से 16-16 किलोमीटर तक अंदर तक आ-जा सकते हैं.

सीमा पार रह रहे लोगों के ये संबंध, सुरक्षा जैसी राष्‍ट्रीय प्राथमिकताओं के आड़े आ रहे हैं. जिससे सीमा पर फेंसिंग लगाने के लिए ठेकेदारों को मजदूर ही नहीं मिल रहे हैं. मजदूरों का ना मिलने के पीछे स्‍थानीय विरोध ही है.

यही वजह है कि भारत म्‍यांमार सीमा पर बाड़ लगाने का काम बहुत धीमी गति से चल रह है. ताजा जानकारी के अनुसार, मणिपुर के मोरेह के पास 10 किमी में फेंसिंग लगाने का काम पूरा हो चुका है और 21 किमी का काम पूरा होने वाला है. मणिपुर में सीमा के साथ 300 किमी की इलेक्ट्रिक बाड़ की लंबाई हो सकती है.

भारत सरकार ने इस परियोजना की घोषणा फरवरी 2024 में की थी. इसमें पीछे प्रमुख मकसद नशीली दवाओं, हथियारों, विदेशी जानवरों आदि की तस्करी पर अंकुश लगाना था. सिक्योरिटी एजेंसियों के अनुसार 1643 किलोमीटर दूरी में फैले भारत-म्यांमार बॉर्डर में 520 किलोमीटर का इलाका अरुणाचल प्रदेश, 510 किलोमीटर मिजोरम, 398 किलोमीटर मणिपुर और 215 किलोमीटर का इलाका नागालैंड से मिलता है.

Related Articles

Back to top button