जिसका डर था वही हुआ, रूस ने यूक्रेन पर कर दिया सबसे घातक हथियार ICBM का इस्तेमाल, ट्रंप की ताजपोशी से पहले किस बात की होड़
नई दिल्ली: Russia Ukraine War: रूस और यूक्रेन में जंग को 1000 दिन से ज्यादा हो गए हैं. कीव भी बीच-बीच में जोरदार वापसी करता है और रूस को जवाब और बड़ी कार्रवाई करनी पड़ती है. रूस ने ICBM (इंटरकंटीनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल) मिसाइल से हमला किया है. रूस और कीव की ओर से साफ कर दिया गया है कि इसमें परमाणु वॉरहेड नहीं था. लेकिन इसका संदेश अमेरिका से लेकर यूरोप तक को रूस ने दे दिया है. हाल ही यूक्रेन को लंबी दूरी (Long Range missile attack) की मिसाइलों के प्रयोग को लेकर लगी रोक से छुटकारा मिला. इसके बाद यूक्रेन ने तुरंत अमेरिका की लंबी दूरी की मिसाइल का इस्तेमाल रूस पर कर डाला. इसके बाद ब्रिटेन की भी लंबी दूरी की मिसाइल पर रोक हटने के बाद यूक्रेन ने ब्रिटेन की मिसाइल का प्रयोग भी कर डाला. रूस ने लंबी दूरी की मिसाइल पर लगी रोक हटाने के बाद कड़ी प्रतिक्रिया दी. रूस ने हाल में यूक्रेन द्वारा इस प्रकार का दबाव बनाए जाने के विरोध में अपनी परमाणु नीति पर बदलाव कर दिया था.
यूक्रेन की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं
उधर, ऐसा माना जा रहा है अमेरिका में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद यूक्रेन की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. इसके पीछे डोनाल्ड ट्रंप के वे बयान हैं जो वे रूस-यूक्रेन युद्ध पर डोनाल्ड ट्रंप दे चुके हैं. इतना ही नहीं उनके नाटो को लेकर दिए बयान से भी यूरोपीय देशों के माथे पर शिकन आना तय है. अब वे सत्ता में जनवरी में आने वाले हैं. तब तक सत्ता का इस्तेमाल पूरी तरह से जो बाइडेन ही करने वाले हैं. बाइडेन की पार्टी को सत्ता में वापसी की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. ऐसा नहीं होने पर यूक्रेन को भी झटका लगा है.
ट्रंप के आने के बाद युद्धविराम होगा
यूक्रेन को भी अब यह साफ है कि 20 जनवरी के बाद जिसकी अमेरिका में सत्ता होगी, वो बिजनेस के हिसाब से सोचता है. साथ ही यूक्रेन को भी समझ आ गया है कि नई सत्ता में वे ज्यादा दिन तक युद्ध को झेल नहीं पाएंगे. वहीं, रूस को भी पता है कि अब उसके सामने यूक्रेन के विरोध के ज्यादा दिन नहीं बचे है. अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद दोनों देशों पर युद्ध विराम का दबाव होगा. यह अलग बात है कि यूक्रेन पर यह दबाव ज्यादा असर करेगा जबकि रूस अपने समय के और शर्तों के हिसाब से युद्ध विराम के लिए तैयार होगा.
दोनों देशोें में मची इलाकों पर कब्जे की होड़
अब जब युद्ध विराम होने की स्थिति होगी तब दोनों देश यह चाहेंगे कि युद्ध में कब्जे की स्थिति कुछ इस प्रकार रहे ताकि उनके पास टेबल पर शांति समझौते के लिए कुछ हो जिससे उनकी लेन-देन के लिए कुछ हो. खबरों की मानें तो यही कारण है कि दोनों देशों में एक दूसरे के इलाकों पर कब्जे की होड़ लग गई है. यूक्रेन ने जहां रूस के भीतरी इलाकों में मिसाइल हमले करना शुरू कर दिया है, वहीं, रूस की ओर से भी हमलों में तीव्र वृद्धि की है.
रूस से अपने इलाके वापस लेना चाहता है कीव
यूक्रेन ने पहले ही कीव से रूसी क्षेत्र के भीतर दूर तक मार करने अमेरिकी एटैकम्स मिसाइलें दागी हैं. यूक्रेन का प्रयास है कि वह उत्तर में रूस के कब्जे गए अपने क्षेत्र पर वापस कब्जा कर ले. बाइडेन ने जाते-जाते यूक्रेन को $300 मिलियन (£239 मिलियन) की नई सैन्य सहायता देने का ऐलान किया है. साथ ही इसमें बारूदी सुरंगें भी भेजने का वादा किया है.
अमेरिका ने क्यों लिया ऐसा फैसला
अमेरिका का कहना है कि रूस की ओर से लड़ने पहुंचे उत्तर कोरिया के सैनिकों की पुष्टि के बाद अमेरिकी राष्ट्र्पति जो बाइडेन ने ऐसा फैसला किया है.