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भारतीय मूल के सुचिर बालाजी ने OpenAI पर लगाए थे गंभीर आरोप!

Suchir Balaji: OpenAI के एक भारतीय अमेरिकी सुचिर बालाजी अपने सैन फ्रांसिस्को अपार्टमेंट में मृत पाए गए हैं. उनका शव 26 नवंबर को उनके घर में मिला था. हालांकि अब उनकी मौत की खबर सामने आई है. उनकी मौत का कारण आत्महत्या बताया गया. बताया जा रहा है कि मुख्य चिकित्सा परीक्षक कार्यालय (OCME) ने मृतक की पहचान 26 वर्षीय सुचिर बालाजी के रूप में की है. मौत का तरीका आत्महत्या बताया गया है. हालांकि उनकी मौत के बाद सोशल मीडिया पर एक नई बहस छिड़ गई है.

बालाजी ओपनएआई में रिसर्चर थे. वह सैम ऑल्टमेन के नेतृत्व वाले स्टार्टअप में लगभग चार साल तक थे और अपने अंतिम 18 महीने चैटजीपीटी पर बिताए. बालाजी ने अगस्त में चैटजीपीटी बनाने वाली कंपनी ओपनएआई से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद उन्होंने कंपनी पर कॉपीराइट उल्लंघन का आरोप लगाया था. उनके दावों ने सोशल मीडिया पर ध्यान आकर्षित किया और यूजर्स ने इस पर चिंता जताई. एक्स के मालिक और टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने भी उनके निधन पर प्रतिक्रिया दी है.

सुचिर बालाजी के ज़रिए सोशल मीडिया पर पोस्ट अब वायरल हो रहा है. जिसमें उन्होंने विस्तार से बताया कि मीडिया संगठनों के ज़रिए मुकदमों के जवाब में ChatGPT निर्माता का ‘उचित उपयोग’ का तर्क ‘काफी अविश्वसनीय’ था.  उन्होंने पोस्ट में लिखा,’मैंने हाल ही में उचित उपयोग और जनरेटिव AI के बारे में NYT की एक स्टोरी में हिस्सा लिया और मुझे संदेह है कि ‘उचित उपयोग’ बहुत सारे जनरेटिव AI प्रोडक्ट्स के लिए एक उचित बचाव होगा. मैंने उचित उपयोग के बारे में बारीक विवरण और मैं ऐसा क्यों मानता हूं, इस बारे में एक ब्लॉग पोस्ट भी लिखा.’

उन्होंने आगे लिखा,’शुरू में मुझे कॉपीराइट, सही उपयोग आदि के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं थी लेकिन जेनएआई कंपनियों के खिलाफ़ दायर किए गए सभी मुकदमों को देखने के बाद मैं उत्सुक हो गया. जब मैंने इस मुद्दे को बेहतर ढंग से समझने की कोशिश की तो मैं आखिर में इस नतीजे पर पहुंचा कि उचित उपयोग बहुत सारे जनरेटिव एआई प्रोडक्ट्स के लिए एक बहुत ही अविश्वसनीय बचाव की तरह लगता है. अहम वजह यह है कि वे ऐसे विकल्प बना सकते हैं जो उस डेटा के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं जिस पर उन्हें ट्रेंड किया जाता है.’ उन्होंने आगे लिखा,’मैंने अपने पोस्ट में इस बात के बारे में और भी विस्तार से वजहें लिखी हैं कि मैं ऐसा क्यों मानता हूं. जाहिर है मैं वकील नहीं हूं लेकिन मुझे अभी भी लगता है कि गैर-वकीलों के लिए भी कानून को समझना जरूरी है.’

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