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पराली जलाकर जुर्माना देकर बच जाएं, आप लाइसेंस दे रहे? पॉल्यूशन पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ रहे वायु प्रदूषण के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जस्टिस अभय एस ओक, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच मामले पर सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने CAQM से पूछा कि आपने क्या एक्शन लिया है.जस्टिस अभय ओक ने कहा कि केंद्र सरकार ने सिस्टम नहीं बनाया. पर्यावरण संरक्षण अधिनियम शक्तिहीन हो चुका है. धारा 15 में संशोधन करके दंड की जगह जुर्माना लगा दिया है, और जुर्माना लगाने की प्रक्रिया का पालन नहीं किया जा सकता. केंद्र सरकार ने कहा कि दस दिनों के भीतर सेक्शन 15 (जुर्माने से लेकर 5 साल की सजा का  प्रावधान) लागू कर दिया जाएगा. प्रदूषण के मामले पर अगली सुनवाई 4 नवंबर को होगी. सभी पक्षों को अगली सुनवाई से पहले हलफनामा दाखिल करना है.

जस्टिस ओक ने क्या कहा?

  • पर्यावरण संरक्षण अधिनियम अब शक्तिहीन हो चुका है.
  •  ⁠सजा की जगह मामूली जुर्माना लगा दिया गया है.
  • राज्य के अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई?

ASG एश्वर्या भाटी का जवाब

  •  CAQM ने दोनों राज्यों के अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.
  • पंजाब और हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव, कृषि को नोटिस जारी किया गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

  •  नियम आपको मुकदमा चलाने की अनुमति देते हैं.
  • आपको उन पर मुकदमा चलाना चाहिए वरना कुछ नहीं होगा.

‘किन धाराओं में केस दर्ज हुआ, हमें पता है’

ASG ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पंजाब- हरियाणा ने पराली जलने की घटना को कम करने के लिए व्यापक कदम उठाए गए हैं. इस पर अदालत ने कहा कि हम जानते है कि किन धाराओं में FIR दर्ज हुई है. क्या कोई भी मामले को लेकर गंभीर हैं.

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