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Sagar News: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मुख्य सचिव को भेजा नोटिस, दे दी ये चेतावनी, मामला जानकर दंग रह जाएंगे आप भी

Sagar News: अवैध खनन से मासूम को करंट लगने के मामले में मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का नोटिस आया है।

Sagar News: सागर। एमपी के सागर ज़िले में अवैध खनन से मासूम को करंट लगने के मामले में मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का नोटिस आया है। बता दें कि मुख्य सचिव को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

जानकारी अनुसार, सागर के 14 साल के मानस शुक्ला को करंट लगने के मामले में नोटिस जारी किया है। बता दें कि खुले छोड़ने की वजह से हाई-टेंशन बिजली के तार से मानस को लगा करंट और एक उसे एक हाथ गवना पड़ा था।

परिजनों का आरोप विधायक भूपेंद्र सिंह ठाकुर और उनके भांजे लखन सिंह ठाकुर द्वारा खनन किया जा रहा था। घटना के बाद भी FIR दर्ज नहीं करने पर पुलिस और प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

शिकायकर्ता को झूठे केस में फँसाने और जान से मारने की कोशिश और धमकी देने का आरोप लगा है। आयोग की जाँच में खुलासा हुआ पुलिस और प्रशासन ने पाँच महीने तक टालमटोल किया, FIR ही दर्ज नहीं हुई।

मानवाधिकार आयोग ने सरकार से पूछा, FIR दर्ज करने और कार्रवाई रोकने की वजह बताएं। आयोग ने पूछा मानस शुक्ला के परिवार को 10 लाख का मुआवज़ा क्यों न दिया जाए।

23 अगस्त तक सरकार से जवाब तलब वरना सख़्त कार्रवाई की चेतवानी दी है। आयोग ने कहा यह मामला सत्ता के दुरुपयोग और जनता के भरोसे से खिलवाड़ का है।

आयोग ने यह भी ध्यानाकर्षित किया है कि खुरई के विधायक भूपेंद्र सिंह ने झूठे आरोपों वाले पत्र भेज कर आयोग की कार्यवाही को प्रभावित करने का प्रयास किया। वहीं DGP को FIR दर्ज करेने के निर्देश दिए हैं।

आयोग ने नोटिस में कहा- आयोग के विचार में कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक, सागर द्वारा यह दलील कि शिकायतकर्ता ने कोई शिकायत प्रस्तुत नहीं की, असमर्थनीय है।

इस मामले में FIR का पंजीयन इसलिए भी आवश्यक है ताकि बालक संबंधित विभाग से आर्थिक सहायता प्राप्त कर सके। क्रशर मालिक के खिलाफ किसी वैधानिक दंडात्मक कार्रवाई का कोई अभिलेख उपलब्ध नहीं है..यह प्रशासनिक एवं पुलिसीय दायित्वों में गंभीर चूक है – आयोग

घटना स्थल का कोई आधिकारिक निरीक्षण उसी दिन नहीं किया गया, जिससे कारणों का आकलन, साक्ष्यों का संरक्षण और दोबारा ऐसी घटना रोकने के लिये कदम उठाए जा सकते थे।

आयोग ने कहा है कि मध्यप्रदेश शासन कारण बताए कि आखिर वह क्यों न भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) और लोक शिकायत एंव पेंशन मंत्रालय को यह अनुशंसा करे कि सागर कलेक्टर पर कार्रवाई की जाए, क्योंकि उन्होंने कानून के अनुसार ज़रूरी कार्रवाई नहीं की।

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