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आरक्षण नीति के विरोध में CM हाउस का घेराव, प्रदर्शन में शामिल हुए NC के सांसद!
जम्मू-कश्मीर में विवादित आरक्षण नीति (Jammu Kashmir Reservation Policy Protests) को लेकर सीएम आवास के बाहर अनोखा विरोध प्रदर्शन हुआ. जहां एनसी के सांसद अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ छात्रों के साथ प्रदर्शन में शामिल हुए. जम्मू-कश्मीर की सत्ता में काबिज नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के सांसद आगा सैयद रूहुल्ला मेहदी ने जम्मू-कश्मीर की विवादित आरक्षण नीति के खिलाफ छात्रों के विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया और छात्रों के साथ करीब एक किलोमीटर पैदल चलकर सीएम आवास के सामने विशाल विरोध प्रदर्शन किया.
सांसद ने कहा, ‘अपनी सरकार को आरक्षण नीति पर कार्रवाई करने के लिए 22 दिसंबर तक का अल्टीमेटम दिया था. यह मियाद पूरी होने के बाद सोमवार को व्यापक विरोध प्रदर्शन हुआ. छात्रों ने कहा, ‘सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया, इसलिए सीएम आवास का घेराव किया गया. इस प्रोटेस्ट में सैकड़ों छात्र शामिल हुए. एनसी सांसद ने कहा, ‘जब तक इस पर निर्णय नहीं हो जाता, लड़ाई जारी रहेगी. यह राजनीति नहीं है, यह जम्मू-कश्मीर के लोगों के अधिकारों की लड़ाई है. छात्रों की आशंकाएं हैं. मैं इनकी तरफ़ से बात करूंगा और चाहूंगा की सरकार इनकी बात सुने. यह इंसाफ़ की बात है. जम्मू कश्मीर के लोगों के हक़ के लिए लड़ना मेरी ज़िम्मेदारी है. हमारा संघर्ष जारी रहेगा.’
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता इल्तिजा मुफ्ती और पीडीपी विधायक पारा और एआईपी विधायक शेख खुर्शीद भी अपने-अपने कार्यकर्ताओं के साथ विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए. ये सभी लोग जम्मू-कश्मीर में लागू आरक्षण नीति का विरोध करने के लिए गुपकार रोड स्थित मुख्यमंत्री आवास यानी उमर अब्दुल्ला के आधिकारिक आवास के बाहर छात्रों के साथ काफी देर तक डटे रहे. पीडीपी नेता इल्तिजा मुफ्ती ने आरक्षण नीति को समयबद्ध तरीके से रद्द करने की मांग करते हुए कहा कि योग्यता से समझौता नहीं किया जाना चाहिए. राजनीति से उठकर लोगों के लिए लड़ना होगा.
सीएम आवास के बाहर एनसी सांसद आगा ने बताया कि जम्मू-कश्मीर के विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले पांच छात्रों का प्रतिनिधिमंडल अपनी मांगें रखने के लिए मुख्यमंत्री से मिला. प्रतिनिधिमंडल ने बाहर आकर बताया कि उनसे जो बन पड़ेगा वो तुरंत करेंगे. इस बीच उन्होंने छात्रों से 6 महीने का मोहलत और मांगी है, हालांकि छात्र इससे सहमत नहीं हैं. उनका कहना है कि वह पूरी टीम से बात करेंगे और फिर कोई निर्णय लिया जाएगा.
आपको बताते चलें कि मार्च 2023 में प्रशासनिक परिषद ने जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2023 को मंजूरी दी. SEBC आयोग की सिफारिशों के आधार पर ओबीसी और अन्य श्रेणियों के लिए आरक्षण संरचना में संशोधन किया गया. इस फैसले की राजनीतिक और सामाजिक तौर पर जमकर आलोचना हुई थी. दरअसल इस व्यवस्था में सामान्य वर्ग का आरक्षण घटाकर आरक्षित श्रेणियों के लिए बढ़ाया गया है. पहाड़ी जनजाति और तीन अन्य समूहों के लिए 10% आरक्षण बढ़ गया है. ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) में 15 नई जातियों को शामिल किया गया था.