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10 साल पहले मजाक उड़ाते थे वे, अब यूरोप का यान भेज रहा है भारत!

एक समय था जब पश्चिम देश भारत का मज़ाक उड़ाया करते थे लेकिन अब ऐसा नहीं है. उसका फर्क इस खबर में हम आपको बताने जा रहे हैं. साथ ही 10 वर्ष पुरानी न्यूयॉर्क टाइम्स द्वारा की गई एक हरकत के बारे में बताएंगे, जब अखबार ने भारत का मज़ाक उड़ाया था.

पश्चिम के देश भारत को दोयम दर्जे का देश मानते थे. किसी भी मामले में उन देशों को भारत से ज्यादा उम्मीदें नहीं थीं. उन्हें लगता था कि भारत सिर्फ सांप-बिच्छू वाला देश ही है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में भारत ने हर क्षेत्र में खुद को मनवा लिया है और पूरी दुनिया भारत की तरफ उम्मीद भरी नजरों से देखती है. इसकी एक मिसाल साल 2014 में अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने पेश की थी. जब उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो का मज़ाक उड़ाया था. हालांकि तीखी आलोचना के बाद अखबार ने माफी भी मांग ली थी. लेकिन अब हालत ये है कि इसरो ने एक के बाद एक ऐसे मिशनल लॉन्च किए हैं को पूरी दुनिया को सेल्यूट करने को मजबूर हो रही है. हालत यहां तक आ गई है कि अब ISRO यूरोपीय संघ के सेटेलाइट लॉन्च करने जा रहा है.

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेन्द्र सिंह ने मंगलवार को कहा कि भारत अगले महीने की शुरुआत में श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के प्रोबा-3 मिशन को प्रक्षेपित करेगा. सिंह ने कहा कि मिशन के तहत भेजे वाले दो उपग्रहों को इसरो के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) के साथ एकीकरण के लिए मंगलवार सुबह श्रीहरिकोटा लाया गया और यह सूर्य का अध्ययन करने के लिए प्रोबा-3 मिशन का हिस्सा हैं.

सिंह ने ‘इंडियन स्पेस एसोसिएशन’ द्वारा आयोजित भारतीय अंतरिक्ष कॉन्क्लेव में कहा,’यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का प्रोबा-3 मिशन दिसंबर के पहले सप्ताह में श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी रॉकेट द्वारा प्रक्षेपित किया जाएगा.’ इस मिशन के चार दिसंबर को प्रक्षेपित किये जाने की संभावना है. प्रोबा-3 के दो उपग्रहों को पीएसएलवी-एक्सएल लांचर द्वारा एकसाथ लॉन्च किया जाएगा. प्रोबा-3 के दो उपग्रह सूर्य के आसपास के वायुमंडल का निरंतर दृश्य देख पाएंगे, जो पहले सूर्यग्रहण के दौरान केवल कुछ क्षणों के लिए ही पृथ्वी से दिखाई देता था.

दरअसल न्यूयॉर्क टाइम्स के कार्टून में दिखाया था कि एक किसान बैल को लेकर मंगल ग्रह पर पहुंचता है और एक ऐसे कमरे का दरवाज़ा खटखटा रहा है जहां पहले से ही अंदर तीन-चार विकसित यानी पश्चिमी देशों के वैज्ञानिक बैठे हुए हैं. उनके गेट पर लिखा हुआ है ‘एलीट स्पेस क्लब’. हालांकि अखबार को जल्द ही भारत की ताकत का अंदाजा हो गया. क्योंकि लोगों ने अखबार की इस हरकत को भारत जैसे विकासशील देशों के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रस्त बताया था. जिसके चलते उसने माफी भी मांग ली थी. अखबार ने माफी मांगते हुए कहा था,’हमारे इस कार्टून पर कई पाठकों ने शिकायतें भेजीं. हालांकि कार्टूनिस्ट का मकसद ये बताना था कि मंगल ग्रह तक सिर्फ़ धनी, विकसित देशों की ही पहुंच नहीं रही बल्कि अब विकासशील देश भी मंगल तक पहुंच रहे हैं.’

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