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सीएम मोहन यादव से मिले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री साय, जल संसाधन विभाग के अधिकारियों से भी चर्चा

Vishnu Deo Sai Visit MP: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय रविवार को मध्य प्रदेश के दौरे पर पहुंचे। यहां उन्होंने राज्य के सीएम मोहन यादव से मुलाकात की।

Vishnu Deo Sai Visit MP: रायपुर: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय रविवार को मध्य प्रदेश के दौरे पर पहुंचे। यहां उन्होंने राज्य के सीएम मोहन यादव से मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच कई मुद्दों पर चर्चा हुई। इस दौरान सिंचाई विभाग के अधिकारियों से भी मुलाकात की और फिर जल संसाधन विभाग के सिंचाई की नवीनतम तकनीक के संबंध में विस्तृत प्रेजेंटेशन देखा। सीएम ने पारंपरिक सिंचाई पद्धतियों की तुलना में अधिक कुशल, आधुनिक और जल संरक्षण के अनुरूप है।

जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा ने प्रस्तुति के दौरान बताया कि जहां पारंपरिक नहर आधारित सिंचाई में लगभग 35 प्रतिशत एफिशिएंसी प्राप्त होती है, वहीं प्रेशर इरिगेशन प्रणाली में दक्षता बढ़कर 65 प्रतिशत तक पहुंच जाती है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने प्रेजेंटेशन की सराहना करते हुए कहा कि सिंचाई की यह उन्नत तकनीक जल प्रबंधन की वर्तमान और भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप है। उन्होंने कहा, “हम इस तकनीक का छत्तीसगढ़ में भी अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करेंगे, ताकि राज्य के किसानों को कम पानी में अधिक सिंचाई सुविधा और बेहतर उत्पादन मिल सके। जल संरक्षण, ऊर्जा बचत और त्वरित क्रियान्वयन के दृष्टिकोण से यह तकनीक अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी।

क्या है PIN पद्धति

पारंपरिक नहर आधारित सिंचाई में पानी का एक बड़ा हिस्सा रिसाव, वाष्पीकरण और अनियंत्रित बहाव के कारण व्यर्थ हो जाता है, जिससे खेतों तक वास्तविक जल आपूर्ति सीमित रहती है और पूरी कमांड एरिया में समान सिंचाई नहीं हो पाती। सामान्यतः पारंपरिक प्रणाली की कुल सिंचाई दक्षता केवल 35 प्रतिशत मानी जाती है। वहीं, दूसरी ओर PIN (Pressure Irrigation Network) प्रणाली में पानी पाइपलाइनों के माध्यम से नियंत्रित दबाव के साथ सीधे खेतों तक पहुंचाया जाता है, जिससे पानी का अपव्यय लगभग शून्य हो जाता है। इस तकनीक से सिंचाई दक्षता बढ़कर 65 प्रतिशत से अधिक हो जाती है, जो जल संरक्षण और उत्पादन बढ़ाने दोनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

पंपिंग दक्षता बढ़ती है

PIN प्रणाली में सिंचाई पूरी तरह पाइपलाइन आधारित होने के कारण नहर निर्माण की आवश्यकता कम हो जाती है और भू-अधिग्रहण भी न्यूनतम होता है। इससे परियोजनाओं की लागत घटती है और कार्य समय पर पूरे होते हैं। पारंपरिक सिंचाई की तुलना में इस तकनीक में पंपिंग दक्षता अधिक होती है, जिससे बिजली की उल्लेखनीय बचत होती है। समान दबाव से पानी वितरण होने के कारण खेतों के टेल एंड के क्षेत्रों को भी पर्याप्त पानी मिलता है।

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