कौन हैं छठी मैया? जानिए सूर्य देव से रिश्ता और उत्पत्ति की रोचक कहानी!
Chhath Pooja- छठ महापर्व शुरू हो चुका है. बिहार के मुख्य पर्व छठ में किन-किन देवी-देवताओं की पूजा होती है और उसके पीछे क्या कहाना है, आइए जानते हैं.
बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के बड़े हिस्से में प्रमुख तौर पर मनाया जाने वाला छठ महापर्व शुरू हो चुका है. 4 दिन के छठ त्योहार के लिए महीनों पहले से तैयारियां शुरू हो जाती हैं. प्रकृति की पूजा के पर्व के रूप में मशहूर इस पर्व में शुद्धता और पवित्रता का बहुत ध्यान रखा जाता है. साथ ही व्रती को 36 घंटे तक निर्जला रहना होता है इसलिए छठ व्रत बहुत कठिन भी होता है. मान्यता है कि छठ व्रत को पूरी पवित्रता और सच्चे मन से करने पर बड़ी से बड़ी मनोकामना पूरी हो जाती है. छठ व्रत सूर्य को अर्घ्य देने और छठी मैया की पूजा करने से ही पूरा होता है.
छठ महापर्व में छठी मईया और भगवान सूर्य देव की पूजा की जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार छठी मैया, सूर्य देव की ही बहन हैं. छठी मैया की उत्पत्ति के पीछे एक रोचक कथा है. पुराणों के अनुसार जब ब्रह्म देव सृष्टि की रचना कर रहे थे, तब उन्होंने खुद को दो भागों में विभाजित कर लिया था. एक भाग पुरुष और दूसरा प्रकृति बना. इसके बाद प्रकृति ने भी खुद को 6 भागों में विभाजित कर लिया, जिसमें से एक भाग छठी मईया हैं. इस तरह छठी मैया देवी मां का छठा अंश हैं और उन्हें प्रकृति की देवी कहा जाता है. इसलिए छठ को प्रकृति की पूजा का पर्व भी कहा जाता है.
छठ पर्व पुत्र और परिवार की रक्षा और लंबी आयु की कामना के लिए किया जाता है. इसमें छठी मैया और सूर्य देव से घर-परिवार की रक्षा की प्रार्थना करते हुए 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है. माना जाता है कि जो कोई भी व्यक्ति पूरी आस्था, भक्ति और विश्वास के साथ इस पर्व को मनाता है और 36 घंटे का व्रत रखता है, छठी मईया और भगवान सूर्य खुद उसके पुत्र और परिवार की लंबी आयु की रक्षा करते हैं. साथ ही अपार सुख-समृद्धि भी देते हैं.