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अकाल तख्त में हुए एक्शन को क्यों बताया जा रहा सिखों के लिए ब्लैक डे!

Akal Takht Jathedar: शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने शुक्रवार को एक बड़ा फैसला लेते हुए अकाल तख्त और तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदारों को उनके पद से हटा दिया. यह फैसला सिख समुदाय में बड़े विवाद का कारण बन गया है. पूर्व जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने इसे सिखों के लिए ‘ब्लैक डे’ करार दिया और इस निर्णय की कड़ी आलोचना की.

SGPC कार्यकारिणी की ढाई घंटे चली बैठक में फैसला लिया गया कि ज्ञानी रघबीर सिंह (अकाल तख्त के जत्थेदार) और ज्ञानी सुल्तान सिंह (तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार) अपनी जिम्मेदारियों का सही तरीके से निर्वहन नहीं कर पा रहे थे. इसी आधार पर दोनों को पद से हटा दिया गया. इस महीने में SGPC द्वारा हटाए गए यह तीसरे जत्थेदार हैं, क्योंकि 10 फरवरी को तख्त दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह को भी हटा दिया गया था.

SGPC ने सिख प्रचारक कुलदीप सिंह गडगज को अकाल तख्त का कार्यवाहक जत्थेदार और तख्त श्री केसगढ़ साहिब का स्थायी जत्थेदार नियुक्त किया है. वहीं, संत बाबा टेक सिंह को तख्त श्री दमदमा साहिब का कार्यकारी जत्थेदार बनाया गया है. हटाए गए जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह अब भी स्वर्ण मंदिर में मुख्य ग्रंथी के रूप में सेवाएं देंगे.

सूत्रों के मुताबिक, हटाए गए जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह SGPC के 2 दिसंबर के फैसलों को सख्ती से लागू करना चाहते थे. इन फैसलों में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) की भर्ती प्रक्रिया समेत कई अन्य विवादित मुद्दे शामिल थे. SGPC ने जत्थेदारों पर आरोप लगाया कि वे सिख संगठनों की एकता को कमजोर कर रहे थे. दूसरी ओर, ज्ञानी रघबीर सिंह ने फैसले को ‘गुरु का आदेश’ मानकर स्वीकार किया. बताया जा रहा है कि SGPC के इस फैसले से पंजाब की राजनीति में हलचल मच गई है और सिखों के कुछ तबकों में इसे लेकर नाराजगी बढ़ती जा रही है. अब देखना होगा कि यह विवाद आगे क्या मोड़ लेता है.

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