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Diwali 2025 Shubh Muhurat: दिवाली में विधि-विधान से करें मां लक्ष्मी का पूजन, यहां जानें शुभ मुहूर्त

Diwali 2025 Shubh Muhurat: आइए दिवाली पर भद्रा और राहुकाल का समय और देवी लक्ष्मी की पूजा का शुभ मुहूर्त जानें।

Diwali 2025 Shubh Muhurat: दिवाली का त्योहार 20 अक्टूबर, कार्तिक अमावस्या को मनाया जाएगा। इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की विधिवत पूजा करने से धन, समृद्धि और ऐश्वर्य का आशीर्वाद मिलता है। द्रिक पंचांग के अनुसार, यह दिवाली भी भद्रा और राहुकाल के प्रभाव में रहेगी। इस अशुभ अवधि में कोई भी शुभ कार्य या धार्मिक अनुष्ठान वर्जित होता है। आइए दिवाली पर भद्रा और राहुकाल का समय और देवी लक्ष्मी की पूजा का शुभ मुहूर्त जानें।

भद्रा का समय क्या है?

द्रिक पंचांग के अनुसार, दिवाली, 20 अक्टूबर को भद्रा का समय सुबह 6:08 बजे से 8:15 बजे तक रहेगा। चूंकि भद्रा स्वर्ग में होगी, इसलिए दिवाली पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

राहु काल कब रहेगा?

इस वर्ष दिवाली पर राहु काल भी रहेगा। द्रिक पंचांग के अनुसार, राहु काल 20 अक्टूबर को सुबह 7:46 बजे से 9:24 बजे तक रहेगा। राहु काल के दौरान कोई भी शुभ कार्य करने से बचें।

दिवाली पूजा के लिए 3 शुभ मुहूर्त

  • पहला शुभ मुहूर्त (प्रदोष काल) – शाम 5:46 बजे से रात 8:18 बजे तक।
  • दूसरा शुभ मुहूर्त (वृषभ काल) – शाम 7:08 बजे से रात 9:03 बजे तक।
  • तीसरा शुभ मुहूर्त (सर्वाधिक शुभ मुहूर्त) – शाम 7:08 बजे से रात 8:18 बजे तक। इस दौरान, आपके पास लक्ष्मी और गणेश की पूजा के लिए लगभग 1 घंटा 11 मिनट का समय होगा।

दिवाली 2025 पूजा विधि

दिवाली के दिन, सबसे पहले घर के पूर्व या उत्तर दिशा में पूजा के लिए एक साफ़ जगह चुनें। एक पाटे पर लाल या गुलाबी कपड़ा बिछाएं और उस पर देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियां स्थापित करें। देवी लक्ष्मी को दाईं ओर और भगवान गणेश को बाईं ओर स्थापित करें। इसके बाद, भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी दोनों की विधिवत पूजा शुरू करें।

लक्ष्मी और गणेश को लाल फूल, कमल, चावल, इत्र, फल और मिठाई अर्पित करें। चूंकि देवी लक्ष्मी को मुरमुरे और मिठाइयां बहुत पसंद हैं, इसलिए इन्हें अवश्य अर्पित करें। फिर, घी या तेल का मुख्य दीपक जलाएं और देवी लक्ष्मी से धन, समृद्धि और शांति के लिए प्रार्थना करें। इसके बाद, पूरे परिवार के साथ “ॐ जय लक्ष्मी माता” का जाप करते हुए आरती करें और प्रसाद बांटें।

पूजा के बाद, देवी लक्ष्मी के स्वागत के लिए घर के सभी कोनों में दीपक जलाएं। उत्तर दिशा, मुख्य द्वार, छत और नल के पास दीपक अवश्य जलाएं। घर के किसी भी कोने में जहां अंधेरा रहता है, वहां भी दीपक जलाएं। मुख्य दीपक रात भर जलता रखें; यह अत्यंत शुभ माना जाता है। अगली सुबह, लक्ष्मी और गणेश की मूर्तियों को आदरपूर्वक घर के मंदिर में स्थापित करें।

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