नरेंद्र मोदी का करिश्मा+शिवराज चौहान की कल्याणकारी योजनाएं+अमित शाह की रणनीति करेगी चमत्कार
भोपाल : मध्यप्रदेश में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने है। ऐसे में प्रदेश के आदिवासी सूबे की राजनीति का सेंटर पाइंट बन गए हैं। जिस तरफ आदिवासी वोटर एक मुश्त जाते हैं तो उसकी सरकार बनना लगभग तय ही माना जाता है। इसलिए आदिवासी वोटर को अपने पाले में लाने के लिए एक बार फिर कांग्रेस सभी जतन कर रही है। लेकिन नरेंद्र मोदी का करिश्मा+शिवराज चौहान की कल्याणकारी योजनाएं+अमित शाह की रणनीति सभी को चौंकने वाली होगी। माना जा रहा है इनका ऐसा करिश्मा होगा कि बीजेपी अबकी बार 150 का आंकड़ा पार करेगी।
प्रदेश में आदिवासियों की बड़ी आबादी होने से 230 विधानसभा में से 84 सीटों पर उनका सीधा प्रभाव है। 2018 के विधानसभा चुनाव में आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 47 सीटों में से भाजपा ने सिर्फ 16 पर ही जीत दर्ज की थी, जबकि कांग्रेस ने 30 सीटों पर जीत दर्ज कर जीत का सेहरा अपने सिर बांधा था। पिछले तीन माह में प्रदेश में जिस तरह आदिवासियों को लेकर बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने का काम कांग्रेस ने किया है उससे लोगों को लगता है कि अबकी बार फिर आदिवासी सीटों पर बीजेपी पीछे रह सकती है। जिससे विधानसभा चुनाव में एक बार फिर मामला करीबी हो सकता है। लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल अलग होगी। क्योंकि पीएम मोदी करिश्माई चेहरा आदिवासियों के बीच काफी पापुलर है। पीएम मोदी को जब भी मौका मिलता है तो मध्य प्रदेश के आदिवासियों के बीच पहुंच जाते हैं और उनकी परंपरा औऱ कला को प्रोत्साहित करते हैं।
राजनीति के चाणक्य अमित शाह चौकायेंगे
बीजेपी में चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह लगातार प्रदेश का दौरा कर आदिवासियों बहुल इलाकों से आदिवासी युवा नेताओं को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की जन कल्याण नीति जिनसे आदिवासी समाज के साथ प्रदेश के अन्य वर्ग भी लाभावन्वित हो रहे हैं। इसके साथ आदिवासी अस्मिता से जुड़ी बिरसा मुंडा और टंट्या मामा जैसी विभूतियों का सम्मान हो या राजा शंकर शाह रघुनाथ शाह के शहीदी दिवस पर आयोजन और भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का रानी कमलापति के नाम पर नामकरण ये सब शिवराज सरकार में ही हुआ है। प्रदेश की शिवराज सरकार ने आदिवासी समुदाय के बीच भगवान का दर्जा रखने वाले बिरसा मुंडा के नाम पर बिरसा मुंडा स्वरोजगार योजना, टंट्या मामा आर्थिक कल्याण योजना, मुख्यमंत्री जनजाति कल्याण योजना जैसी योजनाएं शुरू कीं। इसके अलावा आदिवासियों के लिए पशुधन योजना भी शुरू की गई।