स्पाइनल मस्क्युलर एट्रोफी (SMA) टाइप 1 नाम की दुर्लभ बीमारी से जूझ रही 11 महीने की बच्ची का जीवन बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. बच्ची की ओर से उनकी मां की याचिका में सरकार से इलाज के लिए जरूरी वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है.
अगर उसे अभी इलाज नहीं मिल पाया तो सिर्फ चंद महीने गुजरने के बाद ( दो साल की उम्र) के बाद उसका जीवन नहीं बच पाएगा. कोर्ट ने मामले में केंद्र सरकार, रक्षा मंत्रालय,चीफ ऑफ एयर स्टाफ, आर्मी हॉस्पिटल को नोटिस जारी किया है.
याचिका में कहा गया है कि जयश्वी के पिता वायुसेना में हैं और सरकार की नीति के चलते वह बिना अनुमति के रक्षा मंत्रालय में कार्यरत लोगों से आर्थिक मदद नहीं ले सकते हैं.
याचिकाकर्ता के माता पिता संबंधित विभागों और सरकार से मदद की गुहार लगाते रहे हैं लेकिन उन्हें अब तक कोई मदद नहीं मिली है. याचिका में संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून की नजर में समानता) और आर्टिकल 21 (जीवन के अधिकार) का हवाला दिया गया है.
याचिकाकर्ता के मुताबिक कोर्ट केंद्र सरकार को निर्देश दे कि बच्ची के इलाज के लिए जीन थेरेपी के लिए 14 करोड़ बीस लाख के फंड को रिलीज करें. सरकार इंजेक्शन को निर्यात के साथ बच्ची को इसे तुरंत लगवाने के लिए अपनी मंजूरी दे. इसके साथ ही कोर्ट से रक्षा मंत्रालय और चीफ एयर स्टाफ को निर्देश दे कि वो सैनिकों को क्राउड फंडिंग के लिए मैसेज भेजे.