भोपाल। केन-बेतवा परियोजना के पानी बंटवारे का मामला प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में भी नहीं सुलझ पाया। आखिर पीएमओ ने दोनों राज्यों के अफसरों से खुद विवाद सुलझाने को कहा है।
इन अफसरों को 15 दिन बाद फिर से नई दिल्ली बुलाया गया है। 2005 में उत्तर प्रदेश को 1700 और मध्य प्रदेश को 1405 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर) पानी देने का समझौता हुआ था।
परियोजना से दोनों राज्यों के बीच पानी बंटवारे को लेकर हाल ही में विवाद की स्थिति बनी है। राज्य सरकार के अफसरों ने इस बंटवारे पर सवाल खड़े किए थे। इसके बाद मुख्य सचिव बीपी सिंह ने केंद्रीय जल संसाधन सचिव को पत्र लिखकर आपत्ति दर्ज कराई थी। जून में केंद्रीय सचिव अमरजीत सिंह भोपाल आए थे।
उन्होंने मुख्यमंत्री के साथ बैठकर मामले को सुलझाने की कोशिश भी की थी, लेकिन राज्य के अफसर नहीं माने। आखिर केंद्रीय सचिव ने पीएमओ को मामला भेज दिया। वहां से इस परियोजना और समझौते से जुड़े अफसरों को तीन दिन पहले दिल्ली बुलाया गया था।
भोपाल। केन-बेतवा परियोजना के पानी बंटवारे का मामला प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में भी नहीं सुलझ पाया। आखिर पीएमओ ने दोनों राज्यों के अफसरों से खुद विवाद सुलझाने को कहा है। इन अफसरों को 15 दिन बाद फिर से नई दिल्ली बुलाया गया है। 2005 में उत्तर प्रदेश को 1700 और मध्य प्रदेश को 1405 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर) पानी देने का समझौता हुआ था। परियोजना से दोनों राज्यों के बीच पानी बंटवारे को लेकर हाल ही में विवाद की स्थिति बनी है। राज्य सरकार के अफसरों ने इस बंटवारे पर सवाल खड़े किए थे। इसके बाद मुख्य सचिव बीपी सिंह ने केंद्रीय जल संसाधन सचिव को पत्र लिखकर आपत्ति दर्ज कराई थी। जून में केंद्रीय सचिव अमरजीत सिंह भोपाल आए थे। उन्होंने मुख्यमंत्री के साथ बैठकर मामले को सुलझाने की कोशिश भी की थी, लेकिन राज्य के अफसर नहीं माने। आखिर केंद्रीय सचिव ने पीएमओ को मामला भेज दिया। वहां से इस परियोजना और समझौते से जुड़े अफसरों को तीन दिन पहले दिल्ली बुलाया गया था।